कामाख्या मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" लौंग, लौंगा, लौंगा! बैर एक लौंग मेरी आती-पाती या भुज ते महिषासुर मारि और शुम्भ निशुम्भ दोऊ दल थम्बा आरत हेतु पुकारत हौं, जाइ कहां बैठी जगदम्बा खड्ग टूटो कि खप्पर फूटो कि सिंह थको तुमरो जगदम्बा आज तोहे माता भक्त शपथ बिनु शान्ति https://angelopttpp.blogzag.com/79215605/the-basic-principles-of-वश-करण-म-त-र-क-स-च-ह-ए