“कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए इंतज़ार करते करते एक और शाम बीत जाएगी !! पर आँखों से गिरे आँसू दर्द की आवाज़ कह जाते हैं। मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ !! मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी https://youtu.be/Lug0ffByUck