दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति। लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।। धन निर्धन को https://shivchalisalyricsinenglis60677.wikirecognition.com/956135/a_simple_key_for_shiv_chalisa_lyrics_unveiled